Uniform Civil Code: UCC से मुसलमानों को दिक्कतें क्या हैं? जानिए- सही Facts

Uniform Civil Code: UCC को लेकर एक बार फिर देश में चर्चा तेज हो गई है। बता दें कि, मंगलवार 6 फरवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024’ विधेयक को विधानसभा में पेश किया।

Feb 7, 2024 - 11:23
Uniform Civil Code: UCC से मुसलमानों को दिक्कतें क्या हैं? जानिए- सही Facts
Uniform Civil Code What are the problems for Muslims due to UCC Know the true facts

Uniform Civil Code: UCC को लेकर एक बार फिर देश में चर्चा तेज हो गई है। बता दें कि, मंगलवार 6 फरवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड-2024’ विधेयक को विधानसभा में पेश किया।

वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया। हालांकि Uniform Civil Code अभी विधेयक पर चर्चा होना बाकी है। जिसके बाद इसे पारित किया जाएगा।

UCC से मुसलमानों को क्यों हो रही हैं दिक्कत
बता दें, कि भारत में अलग-अलग धर्मों के अपने-अपने कानून है। वहीं मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बनाया गया है। अगर समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होता है तो ये कानून खत्म कर एक सामान्य कानून का पालन करना होगा।

आइए जानतें हैं इसके लागू होने से क्यो हो सकते हैं बदलाव
शादी की उम्र

भारत में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र की बात करें तो यह 18 साल रखी गई है। और मुस्लिम पर्सनल लॉ में लड़की के लिए 15 साल के बाद शादी की इजाजत दी गई है।

(UCC) लागू होने के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ खत्म हो जाएगा, साथ ही शादी की उम्र का ये नियम भी बदल जाएगा। कानून लागू होने के बाद शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।

तलाक- इद्दत- महिला की दूसरी शादी

मुसलमान तलाक को लेकर शरिया कानून के अनुसार चलते हैं। यूसीसी के लागू होने के बाद ये खत्म हो जाएगा। इसके अलावा अगर तलाक लेने के मामले में अगर कोई शख्स कानून तोड़ता है तो उसके लिए तीन साल जेल का प्रावधान है।

तलाक पर पुरुषों और महिलाओं का बराबरी का अधिकार होगा।अगर महिला दोबारा शादी करना चाहती है तो उस पर किसी भी तरह की कोई शर्त नहीं होगी। इस कानून में हलाला को लेकर भी सख्त सजा का प्रावधान है। इसके अलावा इद्दत पर भी पूरी तरह से रोक होगी।

गुजारा-भत्ता

तलाक के बाद महिला को गुजारा-भत्ता के मामले में मुसलमानों में अलग नियम है। इसके तहत मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को इद्दत की अवधि तक ही गुजारा भत्ता देने के लिए बाध्य है। वहीं, भारतीय कानून के तहत महिला तलाक के बाद हमेशा के लिए गुजारा भत्ता पाने की हकदार है।

संपत्ति का बंटवारा और विरासत

मुस्लिम महिलाओं को विरासत में हिस्से का अधिकार इस्लाम के आगमन के साथ ही है, हालांकि बंटवारे का हिसाब-किताब अलग है। जिस तरह हिंदुओं का विरासत कानून कहता है कि हिंदुओं में बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर का हक है, लेकिन मुसलमानों को इस मामले में हस्तक्षेप का डर है।

बहुविवाह

बहुविवाह यानी एक पत्नी के होते हुए अन्य शादियां करना। मुसलमानों में चार शादियों की इजाजत है। इससे पता चलता है कि मुसलमान चार शादियों के पक्षधर नहीं है, लेकिन वो शरीयत के साथ छेड़छाड़ नहीं चाहते हैं, यही वजह है कि ये यूसीसी के खिलाफ हैं।

गोद

इस्लाम में किसी शख्स को गोद लेने की इजाजत नहीं है। लेकिन भारत में गोद लेने का अधिकार है। मुस्लिम पर्सनल लॉ के कारण मुसलमानों को इस कानून से बाहर रखा गया है। ऐसा होने के चलते कोई बेऔलाद शक्स किसी बच्चे को गोद नहीं ले सकता है।

बच्चे की कस्टडी

मुसलमानों पर लागू होने वाले शरीयत कानून के अनुसार, पिता को लड़का या लड़की दोनों का नेचुरल गार्डियन माना जाता है। मां की बात करें तो मां अपने बेटे की 7 साल की उम्र पूरे होने तक की कस्टडी की हकदार है। बेटी की बात करें तो बेटी के लिए तब तक की कस्टडी की हकदार हैं, जब तक उसकी बेटी यौवन न प्राप्त कर ले।

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Sunil Tiwari Sunil Tiwari is a news writer and editor with a passion for journalism and storytelling.