Pankaj Udhas Passes Away: नहीं रहे महान गजल गायक पंकज उधास, साल 2006 में मिला था पद्मश्री
महान गजल गायक पंकज उधास का आज 72 साल की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया पर दी।
Pankaj Udhas Passes Away: महान गजल गायक पंकज उधास का आज 72 साल की उम्र में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन की जानकारी उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया पर दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में सोमवार 26 फरवरी की सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली। पंकज उधास को बड़ी पहचान फेमस गजल 'चिट्ठी आई है' से मिली थी।
गजल गायक पंकज उधास का जन्म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। वो अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे थे। उनका परिवार राजकोट के पास चरखाड़ी नाम के एक कस्बे का रहने वाला था। उनके दादा जमींदार थे और भावनगर राज्य के दीवान भी थे। उनके पिता केशुभाई उधास सरकारी कर्मचारी थे, उन्हें इसराज बजाने का बहुत शौक था। वहीं उनकी मां जीतूबेन उधास को गानों का बहुत शौक था। यही वजह थी पंकज उधास समेत उनके दोनों भाइयों का रुझान संगीत की तरफ हमेशा से रहा।
हर तरफ पसरा मातम
बता दें कि, पंकज उधास के निधन से सिर्फ इंटरटेन जगत में मातम छाया हुआ है बल्कि उनके प्रशंसक भी इस ख़बर से सदमे में चले गए है। सिंगर और म्यूजिक कंपोजर शंकर महादेवन सदमे में हैं। उनके मुताबिक, पंकज का जाना म्यूजित जगत के लिए बड़ा नुकसान बताया है। जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकती। सोनू निगम ने भी पंकज उधास के निधन पर इमोशनल पोस्ट लिखा है।
कैसा रहा पंकज उधास का करियर
पंकज के म्यूजिकल करियर की शुरुआत 6 साल की उम्र से हो गई थी। उनके घर में संगीत का माहौल था। इसी को देखते हुए वो भी संगीत की दुनिया में आए और हमेशा से लिए उसके होकर रह गए थे। पंकज उधास ने बताया कि संगीत का पहला एक्सपोजर स्कूल में प्रार्थना करने से शुरू हुआ। उनके संगीत की शुरुआत स्कूल में होने वाली प्रेयर से हुई थी। संगीत का पहला एक्सपोजर स्कूल में प्रार्थना करने से शुरू हुआ।
साल 1980 में उनका पहला एल्बम 'आहट' आया था। इसमें कई गजलें उन्होंने गाई थीं। पंकज उधास अपनी गजल गायिकी के लिए फेमस हुए। उनके फेमस गानों में 'जिएं तो जिएं कैसे बिन आपके...', 'चिट्ठी आई है...', 'चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल...', 'ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार...' शामिल हैं।
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