Bombey Highcourt 'तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व के पति से बिना शर्त भरण पोषण लेने की हकदार है

Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (2 जनवरी) को अपने फैसले में कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं अपने पूर्व पति से बिना शर्त भरण-पोषण का दावा कर सकती है. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाएं दूसरी शादी के बाद भी अपने पहले पति से उचित राशि का दावा कर सकती हैं.

Jan 6, 2024 - 09:07
Jan 6, 2024 - 09:21
Bombey Highcourt 'तलाकशुदा मुस्लिम महिला अपने पूर्व के पति से बिना शर्त भरण पोषण लेने की हकदार है
Bombay Highcourt 'Divorced Muslim woman is entitled to unconditional maintenance from her ex-husband

Bombay High Court : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार (2 जनवरी) को अपने फैसले में कहा कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं अपने पूर्व पति से बिना शर्त भरण-पोषण का दावा कर सकती है. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि महिलाएं दूसरी शादी के बाद भी अपने पहले पति से उचित राशि का दावा कर सकती हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक जस्टिस राजेश पाटिल की सिंगल बेंच ने कहा कि मुस्लिम महिला के तलाक पर अधिकारों के संरक्षण अधिनियम (एमडब्ल्यूपीए) की धारा 3 (1) (ए) में पुनर्विवाह का जिक्र नहीं  है. इसलिए मुस्लिम महिलाएं भरण-पोषण के लिए पहले पति से पैसे मांगने की हकदार हैं

पहले पति ने पैसे मांगने की हकदार हैं महिलाएं
हाईकोर्ट ने कहा, "यह अधिनियम मुस्लिम महिलाओं की गरीबी को रोकने और तलाक के बाद भी सामान्य जीवन जीने के उनके अधिकार को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है. इस कानून का मकसद कहीं भी पूर्व पत्नी को उसके पुनर्विवाह के आधार पर मिलने वाली सुरक्षा को सीमित करने का नहीं है."

कोर्ट ने क्या तर्क दिया?
अदालत ने कहा, "विवाहित स्त्री संपत्ति अधिनियम (MWPA) के तहत एक तलाकशुदा महिला अपने पुनर्विवाह की परवाह किए बिना भरण-पोषण की हकदार है." बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने सऊदी अरब में काम करने वाले चिपलून निवासी की याचिका को खारिज कर दिया. इसमें याचिकाकर्ता ने खेड़ की सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.

निचली अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पति को एक बार ही गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया गया था. इसके बाद पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सत्र अदालत में अपील की. चिपलून निवासी ने अपनी पूर्व पत्नी को 5 अप्रैल 2008 को एक डाक भेजकर तलाक दे दिया था.

क्या है पूरा मामला?
इस जोड़े ने 2005 में शादी की थी और अगले साल उनकी एक बेटी हुई थी. महिला ने अपने अलग हो चुके पति से भरण-पोषण का दावा करने के लिए 1882 के कानून-MWPA का इस्तेमाल किया था. महिला की याचिका पर स्वीकार करते हुए मजिस्ट्रेट अदालत ने पति को 4.32 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था. जिसके बाद पति ने सत्र न्यायालय में अपील की. हालांकि, अदालत ने पति की याचिका खारिज कर दी और पत्नी को 9 लाख रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया.

इसके बाद पति ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज किया. पति ने तर्क दिया कि उनकी पूर्व पत्नी ने दूसरी शादी कर ली है. इस वजह वह उसे गुजारा भत्ता देने के लिए उत्तरदायी नहीं है. हालांकि, हाईकोर्ट ने भी कहा कि महिला तलाक के बाद भी पूर्व पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार है.

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