Farmer Protest-चौधरी चरण सिंह और स्वामीनाथन को भारत रत्न दिये जाने से नहीं बनी बात, किसान संगठन कर रहे हैं दिल्ली मार्च
किसान संगठन एक बार फिर से अपनी पुरानी मांगों को लेकर दो साल बाद दिल्ली की सड़कों पर हैं। दिल्ली के आसपास के बोर्डर को सील कर दिया है। कहा जा रहा है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य राज्यों के किसान दिल्ली प्रवेश की तैयारी में हैं।
नई दिल्ली: 2021-22 में किसान अपने लंबे आंदोलन के बाद मोदी सरकार से कृषि कानूनों को निरस्त करवाने में कामयाब रहे थे। अब लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान एक बार फिर अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतर आए हैं। एक तरफ एनडीए की सरकार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर खुद को चुनाव के ठीक पहले किसान हितैषी साबित करने में लगी है वहीं दूसरी तरफ किसान संगठन एक बार फिर से अपनी पुरानी मांगों को लेकर दो साल बाद दिल्ली की सड़कों पर हैं। दिल्ली के आसपास के बोर्डर को सील कर दिया है। कहा जा रहा है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और देश के अन्य राज्यों के किसान दिल्ली प्रवेश की तैयारी में हैं।
स्वामीनाथन को भारत रत्न लेकिन रिपोर्ट से दूरी
किसान संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, "सरकार ने सबसे बड़ा वादा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक किसानों को फसल के दाम देने का वादा किया था। सरकार ने एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित कर दिया लेकिन उनकी रिपोर्ट को लागू नहीं कर रही। इसके अलावा किसानों को प्रदूषण कानून से मुक्त रखने का वादा किया था. लेकिन कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया।"
क्या है किसानों की मांग
दो साल पहले दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का कई महीनों तक आंदोलन चला था। किसानों की मांग थी सरकार तीन कृषि कानूनों को लागू करे। कई दौर की बैठकें हुईं। बैठक बेनतीजा साबित हुईं और आखिरकार किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन के आगे केंद्र सरकार को किसानों के आगे घुटने टेकने पड़े थे और संसद से पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था। लेकिन एमएसपी को लेकर पेंच फंसा रहा है।
किसानों ने दी लंबी कुर्बानी
तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों ने आशंका जताई थी कि ये कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को खत्म कर सकते हैं और खेती-किसानी कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों में सौंप जा सकते हैं। किसान संगठन एक साल तक दिल्ली के सभी बोर्डर घेरे रहे। किसान संगठनों का दावा है कि इस आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई। आखिरकार सरकार झुकी और तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया। लेकिन इस दौरान सरकार ने एमएसपी देने का वादा भी किया था।
एमएसपी को लेकर बने कानून
2021 के आंदोलन की तरह ही इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए किसान विरोध प्रदर्शन के लिए उतर रहे हैं। खास तौर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना उनकी सबसे बड़ी मांग है।
सरकार को वादा दिलाने के लिए दिल्ली कूच
किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि वह केंद्र सरकार को सिर्फ उनके दो साल पहले किए गए वादों को याद दिलाना चाहते हैं जो किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील करते हुए सरकार ने किए थे। वो वादे अबतक पूरे नहीं हुए हैं। सरकार ने एमएसपी पर गारंटी का वादा किया था। किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही थी।
उल्लेखनीय है कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में किसानों को उनकी फसल की लागत से डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की गई है। नरेंद्र मोदी की सरकार का दावा रहा है कि वे किसानों की आमदनी को दुगुना करने के लिए लगातार काम करते रहे हैं। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि उनको एमएसपी पर गारंटी मिले।
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