Bahraich special -महिला दिवस पर "हम में है दम"जानिए रचना कटियार के संघर्ष की दास्तां
आज हम आपको उत्तर प्रदेश के बहराइच की रचना कटियार के शुरुआती जीवन में संघर्ष की दास्तां बताएंगे जो प्रेरणा दायक और संघर्ष से भरी जिंदगी की कहानी है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पूरी दुनिया में महिलाओं को लेकर अनके सम्मान और उनके सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है ।आज हम आपको उत्तर प्रदेश के बहराइच की रचना कटियार के शुरुआती जीवन में संघर्ष की दास्तां बताएंगे जो प्रेरणा दायक और संघर्ष से भरी जिंदगी की कहानी है।रचना कटियार महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रबंधक है और महिलाओं बेटियों के लिए काम करती हैं।
बहराइच में सप्ताह भर आयोजित की जाने वाली गतिविधियों में सर्वप्रथम ##हम में है दम ## हम होंगे कामयाब इवेंट का आयोजन किया जा रहा है जिसमे वन स्टॉप सेंटर बहराइच् की प्रबंधक रचना कटियार से मिलकर उनसे उनके जीवन में संघर्ष की दास्तां को जानने की कोशिश की तो वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रबंधक रचना कटियार ने बताया की एक ओर समाज जहाँ लड़का और लड़की में भेदभाव करता है वहीं लड़कियाँ निरंतर ऐसी रूढ़िवादी सोच को गलत साबित कर रही है और समाज को आईना दिखा रही है ।श्रीमती रचना कटियार उत्तर प्रदेश कानपुर के गांगूपुर गांव की रहने वाली वाली है और उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक् और एल एल बी किया है तथा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की डिग्री पास की है उनका जीवन बहुत ही कठिनाईयों के साथ बीता है बहुत ही संघर्ष करना पड़ा है उन्होंने बताया की जीवन में , मेरे ही गांव के एक सज्जन ने मेरे परिवार वालों से कहा की मै जीवन में कुछ भी नहीं कर पाऊँगी बेकार है इनको पढाना लिखाना फालतू का पैसा बर्बाद कर रहे है गांव में तो उस समय ऐसा माहौल था की बड़े बुजुर्ग लड़कियों को बाहर पढ़ने नहीं भेजते थे और वो घर वालों को भड़का रहे थे, लेकिन मेरे बाबा जो अब इस दुनियाँ में नहीं है उनका सपना था की मै पढ़ लिख कर कुछ बनू बहुत सारी बाधाये आई लेकिन कभी हार नहीं मानी मेरे माता पिता जो मेरे लिए भगवान् से भी बढ़कर है उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया और जो उनका विश्वास था की मै एक न एक दिन उनका नाम जरूर रोशन करू जो लोग ये बोलते है की लड़कियों को ज्यादा नहीं पढ़ाना चाहिए उनको तो सिर्फ चूल्हा चौका ही करना है उनको सबक भी देना है
उस दिन से मैने ठान लिया कि या ये मान लो कि एक ज़िद थी मुझमे कि चौका बर्तन के अलावा भी बहुत कुछ कर सकती हूँ अगर खुद में हौसला है तो हर मंजिल को पाया जा सकता है और सपने को साकार किया जा सकता है.कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो कोई भी मुश्किलें, तकलीफे, समस्या आप की सफलता में बाधक नहीं बन सकती . वर्तमान समय में वन स्टॉप सेंटर पर आने वाली हिंसा से पीड़ित हर महिला और बच्ची की मदद कर रही हूँ जो महिलाएं और बच्चियाँ फोन कॉल के माध्यम से अपनी समस्या बताती है उनकी भी मदद करती हूँ और आगे भी करती रहुँगी मुझे इस बात की बेहद खुशी है की ईश्वर इस नेक काम के लिए मुझे चुना है... हम सभी बलिकाएं और महिलाएं अपने आप को अबला नहीं सबला समझे बस अंत में इतना ही कहूंगी .. उठो लड़ो और आगे बढ़ो अपनी समस्याओं का खुद समाधान बनो। अबला नहीं हो तुम नारी इस बात का अभिमान करो।
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