Amethi News:दस माह के बच्चे को मां से हमेशा से के लिए जुदा कर देने वाले अस्पताल पर लटकी सीलिंग की तलवार|

लोगों का कहना है अस्पताल में सीधी लूट मची है फीस कम कर, जांच और दवा के नाम पर मरीजों को यहां कंगाल कर दिया जाता है| 

Sep 17, 2023 - 19:11
Sep 17, 2023 - 19:18

एक दुधमुंहे बच्चे को उसकी मां से हमेशा के लिए जुदा कर देने वाले, संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा संचालित, संजय गांधी अस्पताल मुंशीगंज अमेठी की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं|
1 सितंबर 1982 को दिवंगत इंदिरा गांधी ने इस 
संजय गांधी अस्पताल का शिलान्यास किया था, अमेठी तथा आसपास के क्षेत्रों की जनता खुश थी कि उन्हें अस्पताल बन जाने के बाद अत्याधुनिक चिकित्सा और बेहतर स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था नजदीक में ही मिल जायेगी , चूंकि अस्पताल का संचालन एक ट्रस्ट कर रहा है जिसका अध्यक्ष गांधी परिवार से था और है,इसलिए लोगों को अस्पताल से सस्ते और बेहतर इलाज का भरोसा था जो समय के साथ टूटता ही चला जा रहा है|

लोगों का कहना है अस्पताल में सीधी लूट मची है फीस कम कर, जांच और दवा के नाम पर मरीजों को यहां कंगाल कर दिया जाता है| 


दिव्या की मौत के बाद अस्पताल की जनपद में किरकिरी हो रही है, 
हो भी क्यों न?


जब अस्पताल दर्द का इलाज मौत से करने लगें, तो उनपर कठोर कार्यवाही भी होनी चाहिए और जनता को उनकी गतिविधि से, परिचित भी होना चाहिये|
एक महिला अपने पति,दस माह के छोटे बच्चे के साथ अस्पताल पहुंचती है, अस्पताल और डाक्टरों पर इतना भरोसा कि अपने बच्चे का माथा चूम मुस्कराते हुए पथरी के इलाज के लिए आपरेशन थियेटर में घुसती है, बुजुर्ग रिटायर्ड एनेस्मथीसिया डाक्टर अपनी डाक्टरी करते हैं, और महज कुछ ही मिनटों बाद बिना आपरेशन उसका निढाल शरीर बाहर निकाला जाता है, महिला को वेंटिलेटर पर डाल दिया जाता है |
पलक झपकते ही 22 वर्षीय महिला दिव्या शुक्ला दुनिया से लगभग गायब हो जाती हैं, उम्मीद बस इससे की डाक्टर कह रहे हैं मरीज जिंदा है, बचाने की कोशिश जारी है, परिजन हैरान - परेशान इस अन्याय पर उद्वेलित हैं लेकिन न तो अस्पताल प्रशासन और न ही डाक्टर,किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता|

गुरुवार दोपहर से शुक्रवार दोपहर तक का समय बीत जाता है परिजन दिव्या की हालत से परेशान हैं, कुछ नहीं सूझ रहा तो मीडिया से मदद मांगते हैं, मीडिया आती है जिम्मेदारों से सवाल- जवाब में पता चलता है दिव्या पर एनेस्थीसिया का दुष्प्रभाव हुआ लगता है,हालत गंभीर है|

बिना जांच के एनेस्थीसिया की कार्यवाही, रिटायर्ड बुजुर्ग डाक्टर से एनेस्थीसिया की क्रिया करवाना, मरीज की हालत खराब होने के बाद भी परिजनों को झूठा दिलासा दिया जाना, अस्पताल प्रबंधन तथा डाक्टरों की घोर लापरवाही और असंवेदनशीलता का परिचायक बनी जिसके बाद परिजनों ने मुंशीगंज थाने में तहरीर देते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की|

अस्पताल में जाने कितनी जिंदगियां ऐसे ही दम तोड़ चुकी होंगी, शायद उनके परिजन इसे नियति मानकर चुप्पी साध लिए हों,लेकिन दिव्या के चाचा अमित तिवारी और पति अनुज शुक्ला ने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई,बेबस अस्पताल प्रबंधन ने आखिरकार शनिवार तड़के ढाई बजे दिव्या शुक्ला को इलाज के लिए मेदांता भेजा जहां दिव्या को मृत घोषित कर दिया गया|

मामला जनता जनार्दन की कोर्ट में चलने लगा, शासन- प्रशासन भी हरकत में आया, यूपी स्वास्थ्य मंत्री व उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के आदेश पर अमेठी स्वास्थ्य विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने शनिवार दोपहर संजय गांधी अस्पताल पहुंच मामले की छानबीन शुरू कर दी, और शाम आठ बजकर बीस मिनट पर, दिव्या की लाश लखनऊ पोस्टमार्टम हाउस से लेकर परिजन सीधा संजय गांधी अस्पताल गेट पर पहुंच प्रदर्शन करने लगे|

पुलिस को इसका अंदेशा पहले से था इसलिए वहां जनपद के कई थानों की फोर्स पहले से ही तैनात थी,दस माह के बच्चे के सिर से मां का साया हट जाने से द्रवित, सैकड़ों की संख्या में लोग परिजनों की पीड़ा और प्रदर्शन का हिस्सा बने|

घंटो परिवार संजय गांधी अस्पताल की जानलेवा लापरवाही का सबूत लिए गेट पर बैठा रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन की ओर से पीड़ित को ढांढस देने मात्र के लिए भी किसी जिम्मेदार ने झांका तक नहीं|

अहंकार हो या फिर आत्ममुग्धता उसका विनाश निश्चित है, संजय गांधी अस्पताल मुंशीगंज के डाक्टरों तथा प्रबंध समिति को भी उस दस माह के अबोध अनिमेष की तथा पीड़ित परिजनों की आह आखिरकार लग ही गई, जिसकी मां, बेटी , पत्नी,भाभी,बुआ, भतीजी  इनकी लापरवाही से अब इस दुनिया में नहीं है|

 सत्रह सितंबर के पहले मिनट में परिजनों की तहरीर पर संजय गांधी अस्पताल के सीईओ समेत तीन डाक्टरों के खिलाफ पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज कर ली गई और अब खबर मिल रही है की शासन ने इस खबर को गंभीरता से लेते हुए हाॅस्पिटल के खिलाफ व्यापक कार्यवाही का मन बना लिया है|
डिप्टी सीएम इस बाबत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बयान देते हुए बताया है कि प्रारंभिक जांच में अस्पताल में मिली कमियों पर क्लीनिकल एक्ट के तहत अस्पताल से स्पष्टीकरण मांगा गया है, अस्पताल में नये मरीजों की भर्ती पर सख्ती के साथ रोक लगा दी गई है, स्पष्टीकरण प्राप्त होने पर गुण दोषों के आधार पर अस्पताल प्रशासन पर कठोर कार्यवाही और रजिस्ट्रेशन रद्द कर सीलिंग की कार्यवाही भी की जायेगी|

यदि कोई अस्पताल किसी की जिंदगी को मजाक समझे तो उसके साथ होना भी यही चाहिए, लेकिन सवाल यह भी है एक बच्चे से उसकी मां,एक पति से उसकी पत्नी, परिजनों से उसकी दुलारी छीन लिए जाने की भरपाई आखिर कौन करेगा|
लोग पीड़ित परिवार के लिए एक करोड़ रुपये की मुआवजा राशि अस्पताल प्रबंधन से वसूले जाने की मांग कर रहे हैं|

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